दोस्तों, इस पोस्ट के माध्यम से आप VFD drive के बारे में जानेंगे की VFD क्या है यह किस प्रकार काम करता है, VFD के क्या फायदे है, इसके कौन कौन से components होते है और औद्योगिक क्षेत्रो के लिए VFD क्यों जरुरी है।
दोस्तों, VFD का उपयोग AC Induction मोटर के स्पीड को समायोजित कर Run करने के लिए किया जाता है आज कल औद्योगिक क्षेत्रो या कल-कारखानों में किसी भी मशीनरी उपकरण को आटोमेटिक तरीके से ऑपरेट किया जा रहा है जैसे की एक बटन दबाएं और मशीन स्टार्ट हो जाता है और जरुरत के अनुसार अपने स्पीड को कम या ज्यादा भी कर लेता है यहाँ तक की अपने आप बंद भी हो जाता है तो आज कल अधिकतर मशीने ऑटोमोटेशन मोड पर चल रही है जिससे बिजली और समय दोनों की बचत होती है।
दोस्तों, VFD एक ऐसा Electronic component है जो छोटे से लेकर बड़े मशीनरी उपकरण को ऑटोमोटेशन पर ऑपरेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो आइये इसके बारे में हम विस्तारपूर्वक जसमझने की कोशिश करते है।
VFD drive |
VFD क्या है?
दोस्तों, VFD का मतलब होता है variable frequency drive . Variable यानि बदलने वाला, या जिसे परिवर्तन किया जा सके। VFD को अन्य नामो से भी जाना जाता है जैसे :- AC Drive, Micro drive, Variable speed drive, Adjustable frequency drive, Adjustable speed drive.
दोस्तों अपने देखा होगा की आपके घर या कमरों के अंदर Extension बोर्ड में switch के साथ एक छोटा सा fan regulator लगा होता है जिसका उपयोग जरुरत के अनुसार पंखे की स्पीड को कम या ज्यादा किया जाता है परन्तु वह केवल सिंगल फेज के लिए होता है। आपने देखा होगा की औद्योगिक क्षेत्रो या कल-कारखानों में किसी भी मशीनरी उपकरण को चलाने के लिए three phase AC Induction मोटर का उपयोग किया जाता है, यानि, किसी भी फैक्ट्री या कल-कारखानों के लिए मोटर एक आवश्यक उपकरण होता है जो इन क्षेत्रो में सबसे अधिक बिजली खपत करने वाले मुख्य component होते है। एक आकड़ो के अनुसार दुनिया भर में सभी औद्योगिक कल-कारखाने के कुल बिजली खपत का लगभग 25 % मोटर द्वारा consume किया जाता है।
मान लीजिये की जरुरत के अनुसार किसी मशीनरी उपकरण की स्पीड को कम या ज्यादा करने की आवश्यकता पड़ती हो तो उसके मोटर की स्पीड को कम या ज्यादा करके किया जा सकता है। लेकिन बिना किसी उपकरण की सहायता के मोटर के स्पीड को घटाया या बढ़ाया नहीं किया जा सकता। फिर भी मोटर के गति को दो तरीको से समायोजित किया जा सकता है पहला voltage को कम या ज्यादा करके और दूसरा मोटर के pole की संख्या change करके। दोस्तों, voltage को घटाना या बढ़ाना आसान नहीं होता और मोटर के pole की संख्या हमेशा बदला नहीं जा सकता क्योकि pole की संख्या मोटर के वाइंडिंग के समय ही निर्धारित हो जाता है साथ ही ये भी निर्धारित हो जाता है की motor का RPM क्या होगा क्योकि motor का RPM pole की संख्या पर निर्भर करता है। परन्तु दोस्तो बिना voltage को बढ़ाये और बिना pole की संख्या को change किये भी मोटर की स्पीड को समायोजित किया जा सकता है और वह है इनपुट सप्लाई की frequency change करके, जी हाँ दोस्तों frequency को कम या ज्यादा करने से मोटर की स्पीड को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
frequency को कम करने से voltage अपने आप कम हो जाता है और इसी प्रक्रिया के लिए VFD का उपयोग किया जाता है। VFD, frequency को change करके इन 3 phase AC induction मोटरो के RPM को कट्रोल करता है।
VFD में इनपुट power सप्लाई को दो बार कन्वर्ट किया जाता है सबसे पहले इनपुट सप्लाई को DC सप्लाई में बदला जाता है और उसके बाद DC को फिर से AC सप्लाई में कन्वर्ट किया जाता है। DC से AC सप्लाई में change करते समय उसके frequency को भी change कर दिया जाता है साथ ही voltage भी change हो जाता है जिसके फल स्वरुप मोटर का RPM भी बदल जाता है।
दोस्तों VFD का उपयोग मोटरो के स्पीड कम या ज्यादा करने के साथ-साथ मोटरो को स्टार्ट करने के लिए भी किया जाता है इसलिए अगर देखा जाये तो यह एक तरह से मोटर स्टार्टर भी है और three phase voltage रेगुलेटर भी। VFD का उपयोग औद्योगिक क्षेत्रो के लिए Power saving का मुख्य श्रोत हो सकता है। सिर्फ frequency change करने से motor का RPM कैसे change हो जाता है? निचे दिए गए फॉर्मूले की मदद से आसानी से समझ सकते है।
जैसे:-
सूत्र N = (120 X F)/P
N = RPM ( Revolutions per minute ) प्रति मिनट धूर्णन
F = Frequency ( आवृत्ति )
P = Number of pole (पोल की संख्या)
RPM हमेशा frequency के सम अनुपात होता है यानि अगर frequency कम करेंगे तो RPM भी कम हो जायेगा और अगर frequency ज्यादा करेंगे तो RPM भी ज्यादा हो जायेगा यानि frequency कम ज्यादा करने से RPM भी change होता है।
यहाँ भारत में किसी भी three phase equipments 440 V और 50 से 60 HZ तक की frequency पर ऑपरेट किया जाता है मान लीजिये की 4 pole की मोटर है और 50 HZ frequency पर ऑपरेट होता है तो इसका RPM क्या होगा? आइये कैलकुलेशन करते है।
N = (120 X 50 )/4
N = 120 X 50 / 4 = 1500 RPM
तो आपने देखा की अगर हम 120 में 50 HZ frequency से गुणा करते है तो मोटर का RPM 1500 आता है अब हम frequency को बढ़ाकर और बिना pole की संख्या को change किये देखते है की RPM कितना आता है
N = (120 X 60 )/4
N = 120 X 60 / 4 = 1800 RPM
तो आपने देख लिया की बिना pole की संख्या को बढ़ाये केवल frequency change कर देने से RPM में बदलाव आ जाता है तो इसी तरह VFD, frequency को change करके RPM को बढ़ाता और घटाता है। उम्मीद है ये concept आपने समझ लिया होगा।
Part of VFD
VFD को मुख्य रूप से चार भागो में बिभाजित किया जा सकता है।
1. Converter - इनपुट AC सप्लाई को DC में बदलना।
2. Filter - DC सप्लाई को फ़िल्टर करके शुद्ध DC सप्लाई में परिवर्तित करना।
3. Controller - Frequency और Voltage की मात्रा को कंट्रोल करना।
4 . Inverter - DC सप्लाई को फिर से AC सप्लाई में परिवर्तित करना।
Converter
VFD के इस भाग में AC इनपुट Supply को Bridge Rectifier की सहायता से DC सप्लाई में परिवर्तित किया जाता है जो तीनो phase से connect होता है, Bridge Rectifier एक प्रकार का Diode है, Diode एक Semiconductor device होता है जो current के बहाव को एक diraction में बहने की अनुमति देता है जैसे Air compressor के डिस्चार्ज लाइन में लगे NRV (non- return valve) जो हवा को compressor से टैंक में तो जाने देता है पर compressor में वापस नहीं आने देता, Bridge Rectifier Diode भी non- return valve की तरह काम करता है इसलिए इसे DC (direct current) कहा जाता है।
Filter
DC सप्लाई में परिवर्तित होने के बाद इसमें कुछ अशुद्धियाँ होती है कुछ Ripples होते है जिसे दूर करने की आवश्यकता होती है, इन अशुद्धियों को दूर करने के लिए Capacitor का use किया जाता है जो Ripples को remove कर Smooth और pure DC सप्लाई में परिवर्तित कर देता है।
Controller
VFD के इस भाग में Frequency और Voltage की मात्रा को एक Switching component की सहायता से कंट्रोल किया जाता है जो ये निर्धारित करता है की VFD के आउटपुट सप्लाई में Frequency और Voltage कितनी होगी और motor का RPM क्या होगा।
Inverter
दोस्तों, इन्वर्टर से आप समझ ही गए होंगे की Invereter किस काम आता है जी हाँ दोस्तों आपके घरों में जो Invereter लगा होता है, Power cut के बाद बैटरी के DC सप्लाई को AC में बदल देता है जिससे आपके घरों के पंखे और बल्ब जलने लगते है VFD भी ठीक इसी प्रकार काम करता है लेकिन दोस्तों ये Three phase और 440 volt का होता है। VFD के इस Section में DC power supply को फिर से AC power supply में बदला जाता है और इसके साथ ही जरुरत के अनुसार इसका Frequency भी change कर दिया जाता है जिससे मोटर का RPM भी change हो जाता है।
VFD के लाभ (Benefits of VFD )
VFD का अविष्कार उद्योग जगत के लिए एक वरदान साबित हुआ है, VFD के अनेकों महत्वपूर्ण फायदे है जैसे
Smooth starting - VFD, मोटर को स्टार्ट कर धिरे धिरे smooth तरीके से स्पीड को बढ़ाता है अचानक झटका नहीं देता जैसे की बाकि सब star delta starter करते है इससे सिस्टम पर सामान्य से 8 गुणा load पड़ता है।
Cable protection - VFD मोटर को smooth तरीके से start करता है जिससे wire cable पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता और वह हमेशा सुरक्षित रहता है।
Power saving - VFD अकल्पनीय रूप से ऊर्जा की बचत करता है इसका हर कार्य ऊर्जा के बचत में महत्वूर्ण भूनिका निभाता है जैस:- अगर कोई मशीनरी उपकरण full कैपेसिटी पर काम करता है तो उसका मोटर भी full load पर काम करेगा और वही मशीनरी उपकरण की कैपेसिटी अगर कम करनी हो तो VFD उस मोटर की स्पीड कम कर देता है जिससे ऊर्जा की भरी बचत होती है इसके साथ साथ smooth starting से भी ऊर्जा की खपत में कमी आती है।
Over load protection - system पर over load न होने के कारन ऊर्जा की बचत।
Short circuit protection - अतिरिक्त load न होने के कारण Short circuit होने की संभावना नहीं होता।
VFD का कहाँ इस्तेमाल किया जाता है ?
औद्योगिक क्षेत्रो, कल-कारखानों में
Refrigeration में
Cold storage में
Ice factory में
Railway में
लिफ्ट में
water pump में
लेथ मशीन में
दोस्तों आशा करता हु की इस पोस्ट से आप को कुछ न कुछ सिखने को मिला होगा तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों में जरूर शेयर करे , धन्यवाद।
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