नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे की एक प्रेशर गेज तरल से क्यों भरा होता है, प्रेशर गेज को तरल से भरने के लिए किस लिक्विड का यूज़ किया जाता है, सूखे गेज और भरे हुए गेज में क्या अंतर होता है, वह कौन से दो प्रकार का आयल है जो आम तौर पर किसी भी प्रेशर गेज को fill करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और एक भरे हुए गेज का क्या लाभ होता है? इन सभी बातो को विस्तार पूर्वक जानेगे।
प्रेशर गेज को भरने की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
तो दोस्तों सबसे पहले हम ये जान लेते है की आखिर एक प्रेशर गेज को तरल से भरने की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कंप्रेसर या अन्य घुमने वाले उपकरण बहुत कंपन (vibration) उत्पन्न करते है जिसके परिणाम स्वरुप प्रेशर गेज का सुई बुरी तरह उछलता रहता है जिससे गेज में सटीक प्रेशर देखने में दिक्कत आती है और यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है की सुई, किस ओर इशारा कर रही है, या यूँ कहे की सही reading नहीं मिल पता है, गेज कंपन रहित हो, इसलिए उसे चीपचिपे आयल से भर दिया जाता है इस प्रकार प्रेशर गेज का सुई स्थिर हो जाता है।
भरे हुए प्रेशर गेज का लाभ
दोस्तों, भरे हुए प्रेशर गेज के अनेकों फायदे है लेकिन मै उनमे से दो प्रमुख बातो का उल्लेख करूँगा। पहला ये की भरे हुए गेज कंपन निरोधी होते है जो गेज के सुई को स्थिरता प्रदान करते है जिससे सटीक reading प्राप्त होती है। और दूसरा ये की जो तेल इनके अन्दर भरा होता है ये गेज के अंदरूनी पार्ट्स को lubricate करते है जिससे इसका लाइफ कई गुना बढ़ जाता है और ये जल्दी ख़राब नहीं होते ।
प्रेशर गेज में कौन सा तरल पदार्थ भरा होता है ?
आम तौर पर प्रेशर गेज में भरे जाने वाले पदार्थ, ग्लिसरीन और सिलिकॉन होते है। लगभग 95% प्रेशर गेज को भरने के लिए ग्लिसरीन का उपयोग किया जाता है बाकि में सिलिकॉन होता है इसके अलावा कई ऐसे पदार्थ है, जो प्रेशर गेज को भरने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन तरल पदार्थो का उपयोग इसलिए किया जाता है की यह बहुत ही चिपचिपे होते है जो प्रेशर गेज के सुई को स्थिरता प्रदान करते है। प्रेशर गेज के तरल को सुखने से बचाने के लिए गेज के उपरी सिरे पर एक प्लग लगाकर सील किया होता है, फिर भी किसी- किसी गेज का तरल सुखकर कम हो जाता है लेकिन fill प्लग के जरिये, उसे दोबारा भरा जा सकता है।
तरल भरे गेज के नकारात्मक पहलु
चुकी गेज को भरने के लिए लिक्विड का उपयोग किया जाता है इसलिए अधिक तापमान पर इसमें प्रेशर का निर्माण होने लगता है जो की एक तरल से भरे गेज के लिए स्वाभाविक है, जिससे गेज के सुई को सही स्थान से हटा सकता है और reading को प्रभावित कर सकता है। आम तौर पर 1 psi प्रेशर का difference दिख सकता है, अगर ऐसा हो तो गेज के fill प्लग को थोडा उठा दे ताकि प्रेशर बहार निकल जाये, तो आप सुई को सुन्य की ओर जाते हुए देखेंगे। कभी कभी युवी लाइट या लगातार धुप पड़ने पर ग्लिसरीन पीले या काले पड़ जाते है और उसमे कुछ भी देख पाना मुश्किल हो जाता है अगर ऐसा हो तो fill प्लग के सहायता से उसे दोबारा भरा जा सकता है।
ग्लिसरीन और सिलिकॉन से भरे गेज में अंतर
ग्लिसरीन : आम तौर पर गेज को भरने के लिए सबसे ज्यादा ग्लिसरीन का उपयोग किया जाता है ये काफी अच्छे होते है और कमरे के तापमान अनुप्रयोगों के लिए कुशलता पूर्वक कंपन निरोधी का काम करते है। ग्लिसरीन सुरक्षा मनको पर खरा उतरता है और यह बिलकुल भी जहरीला और नुकसानदायक नहीं होता है। ग्लिसरीन से भरे हुए गेज - 4 डिग्री फ़ारेनहाइट से लेकर +140 डिग्री फ़ारेनहाइट के तापमान पर अच्छी तरह से काम करते है।
सिलिकॉन : सिलिकॉन में अधिक high और low तापमान पर भी सही चिपचिपाहट बनी रहती है, इसलिए जिस स्थान पर तापमान में अत्यधिक भिन्नता हो, वहां पर सिलिकॉन युक्त गेज का इस्तेमाल किया जाता है। विशेष रूप से ठंढे प्रदेशों के लिए जहाँ हमेशा सुन्य से निचे तापमान रहती हो और वहां आइसिंग की संभावना होती हो। सिलिकॉन युक्त प्रेशर गेज -40 डिग्री फ़ारेनहाइट से लेकर +140 डिग्री फ़ारेनहाइट तक की तापमान पर भी अच्छी तरह काम करते है। जहाँ ग्लिसरीन - 4 डिग्री फ़ारेनहाइट के निचे की तापमान होने पर गाढ़ा होकर जमने लगता है, वही सिलिकॉन -40 डिग्री फ़ारेनहाइट तापमान पर भी जमता नहीं और सही चिपचिपाहट बनाये रखते हुए कुशलता से काम करता रहता है। अगर छोटे शब्दों में कहे तो जहाँ, ग्लिसरीन और सिलिकॉन, प्रेशर गेज के सुई को पूर्ण रूप से स्थिरता प्रदान करते है वही सिलिकॉन युक्त गेज, विषम परिस्थितियों में भी कुशलता से काम करने के लिए उपयुक्त होते है।
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